Postik Ghrelu Nuskhe

ये उपाए और नुस्खे तभी फलीभूत तथा प्रभावकारी सिद्ध हो सकते हैं जब उदर व्याधि मुक्त हो, स्वस्थ एवं सबल हो यानि जठराग्नि प्रबल हो और पाचन शक्ति अच्छी हो अन्यथा अच्छे से अच्छा नुस्खा भी सेवनकर्ता को पर्याप्त लाभ नहीं दे सकता। जो व्यक्ति पौस्टिक, बलवीर्यवर्द्धक एवं वाजीकारक नुस्खों का सेवन करना चाहते हो। उन्हें सबसे पहले अपने उदर की स्थिति, जठराग्नि और पाचन शक्ति पर ध्यान देना चहिये। यदि उदर किसी भी व्याधि से ग्रस्त हो, पाचनशक्ति कमजोर हो, कब्ज रहता हो यानि सुबह शाम ठीक से पेट साफ न होता हो, भूख खुल कर न लगती हो तो पहले इन व्याधियों को दूर करने के उपाय और इलाज करना चाहिए। पौस्टिक नुस्खे पचने में भारी होते हैं अतः इनको सेवन करने वाले की पाचन शक्ति अत्यन्त प्रबल होनी ही चाहिए 
किशोर लड़के व लड़कियों के लिए                
आजकल ज्यादातर लड़के व लड़कियां दुबले पतले शरीर के नजर आते हैं लड़कियां मोटापे के भय से डायटिंग करके दुबली बनी रहती हैं और लड़के फ़िल्मी हीरो की नकल करते हुए चुस्त व स्मार्ट दिखने के लिए दुबले बने रहते हैं। जो ऐसा नही करते वे भी या तो उचित पोषक आहार न मिल पाने के कारण दुबले रहते हैं या फिर पैतृक कारण से बलिष्ठ व सुडौल नही बन पाते ।
ऐसे किशोर युवकों को चढ़ती उम्र में मांजा ढीला नही रखना चाहिए बल्कि अभी से अपने शरीर को बुनियाद मजबूत बनाने में पूरी व हार्दिक रूचि लेना चाहिए ताकि आगे के जीवन में स्वस्थ, सुडौल और बलवान शरीर वाले रह सकें।
इसके लिए एक तो उन्हें अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार यथोचित पौष्टिक आहार सेवन करना चाहिए, दूसरा रोजाना प्रातः काल जल्दी उठ कर लगभग 30 से 60 मिनिट का समय व्यायाम या योगासन करने के लिए देना चाहिए ताकि खाया पिया आहार और विशेषकर इन पौष्टिक नुस्खों के पदार्थों को ठीक से हजम कर सकें। यदि हजम नही कर सके तो कितनी ही पौष्टिक व बलवर्द्धक चीजें खाइये, कोई फायदा नही होगा। चने के अलावा इसी तरह गेंहूं मूंग मोंठ में से कोई भी एक अन्न रात को गला कर सुबह नाश्ते के तौर पर खाया जा सकता।
पौस्टिक योग :-16 वर्ष से ऊपर की आयु के युवक युवतियों के लिए, छात्र छात्राओं के लिए, दिमाकी काम करने वालों के लिए प्रातः नाश्ते के रूप में सेवन योग्य नुस्खा । इसे एक बार बना कर तैयार कर लेना चाहिए । यह नुस्खा 30 - 40 दिन तक खराब नहीं होता है।
सामग्री :- उड़द की छिलका रहित दाल एक किलो, देशी घी शुद्ध एक किलो, शक़्कर डेढ़ किलो । बादाम की गिरी 100 ग्राम पिस्ता, चिरौंजी, किशमिश, गोंद सब 50 - 50 ग्राम असगन्ध नागौरी 50 ग्राम, शतावर 50 ग्राम, मुलहठी 25 ग्राम तथा तेजपात,चित्रक,पीपल और बालछड़ सब 10-10 ग्राम ।
विधि :- उड़द की दाल पिसवा कर आटा कर लें और मन्दी आंच पर शुद्ध घी में खूब अच्छी तरह सेक कर गुलाबी कर लें। गोंद को घी में तल कर फूले निकाल लें और ठण्डे करके खूब बारीक़ पीस कर उड़द के सिके हुए आटे अच्छी तरह मिला लें। शक़्कर की एक तार की चाशनी तैयार कर लें। असगन्धा आदि सभी दवाओं को अलग-अलग पिसवा कर खूब महीन चूर्ण कर लें । बादाम और पिस्ता को खूब बारीक़ काट लें । पहले सिके हुए उड़द और गोंद के मिश्रण पिसी हुई दवाइयां डाल कर मसलें और सबको अच्छी तरह मिला कर एक जान कर लें फिर इस मिश्रण को चाशनी में डाल कर हिलाएं चलायें । नीचे उतार कर कटी हुई बादाम व पिस्ता सहित चिरौंजी व किशमिश डाल कर हिलाते चलाते रहें । एक बड़ी थाली में घी का हाथ लगा कर फैला कर डाल दें और बर्फ़ी जमा लें या छोटे-छोटे लड्डू बना लें ।
सुबह नाश्ते के रूप में अपनी पाचन शक्ति के अनुकूल मात्रा में इस नुस्खे का प्रतिदिन खूब चबा-चबा कर सेवन करें और साथ में मीठा दूध घूंट- घूंट करके पीते जाएँ । कम से कम 40 दिन सेवन करें और शरीर को पुष्ट व सुडौल, चेहरे को तेजस्वी व भरा हुआ तथा दिमाक को तरोताजा व ताक़तवर बनाएं । बहुत ही उत्तम युग है ।
दिमागी ताक़त :- बबूल का गोंद आधा किलो शुद्ध घी में तल कर फूले निकाल लें और ठण्डा करके बारीक़ पीस लें। इसके बराबर मात्रा में पिसी मिश्री इसमें मिला लें। बीज निकली हुई मुनक्का 250 ग्राम और बादाम की छिली हुई गिरी 100 ग्राम दोनों को खल बट्टे में कूट पीस कर इसमें मिला लें।
सुबह नाश्ते के रूप में दो चम्मच यानि 20-25 ग्राम मात्रा में खूब चबा-चबा कर खायें। शठ में एक किलास मीठा दूध घूंट - घूंट करके पिटे रहें । इसके बाद जब खूब अच्छी तरह भूख लगे तभी भोजन करें। यह योग शरीर के लिए तो पौष्टिक है ही, साथ ही दिमाग़ी ताक़त और तरावट के लिए भी बहुत गुणकारी है । छात्र-छात्राओं को यह नुस्ख अवश्य सेवन करना चहिये । 
दुबला शरीर:- असगन्ध नागौरी का चूर्ण 20 ग्राम आधा लीटर दूध में डाल कर मन्दी आंच पर खूब पकाएं । जब दूध गाढ़ा होने लगे तब उतार लें । इसमें पिसी मिश्री डाल कर प्रातः काल पीने दुबलापन दूर हो जाता है और शरीर हृष्ट -पुष्ट हो जाता है ।
ये बहुत सरल और सस्ता उपाय है । जो इसे सुबह सेवन न कर सके वे सोने से आधा घण्टा पहले और भोजन करने के 2 घण्टे बाद कर लिया करें । नियम पूर्वक ऊपर वर्णित तीनों उपाय शीतकाल में कम से कम 40 दिन अवश्य करें । अगर पचा सकें तो इस योग में एक चम्मच शुद्ध घी डाल लिया करें तो समझ लें कि सोने पर सोहागे वाला काम हो जाएगा ।
( चाहे मानसिक शक्ति की बात हो या शरीरिक शक्ति की या कि यौन शक्ति की बात हो,यह बहुत जरुरी है की पेट और दिमाग़ साफ रहे। आचार-विचार अच्छा हो और अति करने की बुरी आदत न हो शक्ति हीनता पैदा करने वाले कामों से बचना जरूरी है । चिंता करना, बुढ़ापा आना, बीमार होना, शक्ति से ज्यादा परिश्रम या व्यायाम करना, भूख सहना और स्त्री-सहवास में अति करना ये सब शुक्र (वीर्य) का क्षय करने वाले काम है और ये ही शक्तिहीनता के कारण हैं । इन कारणों को त्याग देना, चिकित्सा का पहला कदम कहा गया है अतः जिस रोग की चिकित्सा की जाय उससे उत्पन्न करने वाले कारणों को पहले त्याग देना चाहिये । ) 



                                                        

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